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राम मंदिर: ‘रामायण’ के राम ने संघर्ष करने वाले सभी नेताओं और रामभक्तों को किया याद

भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण का कार्य कल यानी 5 अगस्त को भूमिपूजन के साथ शुरू हो जायेगा. 'रामायण' धारावाहिक में भगवान राम का किरदार निभाने वाले कलाकार अरुण गोविल ने राम मंदिर के लिए संघर्ष करने वाले अनगिनत रामभक्तों और सम्मानित नेताओं को नमन किया है.  

राम मंदिर: 'रामायण' के राम ने संघर्ष करने वाले सभी नेताओं और रामभक्तों को किया याद

भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण कार्य अयोध्या में शुरू हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल इसका भूमिपूजन करेंगे और इसके बाद राम मंदिर के निर्माण का औपचारिक श्री गणेश हो जायेगा. रामानंद सागर के टेलीविजन धारावाहिक 'रामायण' में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का किरदार निभाने वाले कलाकार अरुण गोविल ने सभी रामभक्तों को याद किया है.

अनगिनत रामभक्तों के संघर्ष की वजह से सफल हुआ आंदोलन- अरुण गोविल

अभिनेता अरुण गोविल ने ट्विटर पर लिखा है कि भगवान श्रीराम के मंदिर के शिलान्यास की प्रतीक्षा समस्त मानव जाति कर रही है. अयोध्या में भूमि पूजन के साथ ही एक दिव्य युग का शुभारंभ हो जाएगा. ये स्वर्णिम अवसर हमें अनेकों रामभक्तों और महान नेताओं के आजीवन संघर्ष और त्याग के फलस्वरूप प्राप्त हुआ है. श्री राम के किरदार को निभाने वाले अरुण गोविल ने राम मंदिर भूमिपूजन के अवसर सभी रामानुरागी भक्तों के समर्पण को नमन किया.

पीएम मोदी कल करेंगे भूमिपूजन

भगवान राम के मंदिर के लिए कल भूमिपूजन का भव्य कार्यक्रम होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल सवा ग्यारह पर अयोध्या पहुंचेंगे और सबसे पहले श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी महाराज के दर्शन हनुमानगढ़ी में करेंगे. गौरतलब है कि पुलिस ने जानकारी दी है कि 5 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को देखते हुए अयोध्या को चारों तरफ से सील करने की तैयारी है.
पुलिस ने बताया कि जितने भी वीवीआईपी आएंगे या फिर जितने भी आमंत्रित मेहमान आएंगे उन सबकी सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री के अतिरिक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मोहन भागवत समेत अनेक गणमान्य महानुभाव कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. इसी बीच अयोध्या में एसपीजी ने सुरक्षा संभाल ली है.

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अफवाहों पर चोट: 5 अगस्त को किसी योजना का शिलान्यास नहीं करेंगे PM मोदी, सिर्फ पूजा

5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शिरकत करने जा रहे हैं. इस बीच ये बातें कही जा रही थी कि इस दौरान पीएम मोदी किसी परियोजना का शिलान्यास कर सकते हैं, इस अफवाह पर लगाम लग गई है, पीएम मोदी सिर्फ पूजन में शामिल होने अयोध्या जा रहे हैं..

अफवाहों पर चोट: 5 अगस्त को किसी योजना का शिलान्यास नहीं करेंगे PM मोदी, सिर्फ पूजा

नई दिल्ली: 5 अगस्त दिन बेहद खास है. श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन होगा, खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन करेंगे. चांदी की ईंट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजना करेंगे. तमाम तरह की तैयारियां पूरी हो चुकी है. इस बीच एक बड़ी जानकारी सामने आ रही है.

5 अगस्त को पीएम मोदी सिर्फ पूजा करेंगे

अयोध्या में पीएम मोदी सिर्फ़ राम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे, हनुमानगढ़ी व रामलला के दर्शन करेंगे. पीएम मोदी के अयोध्या दौरे में किसी भी परियोजना का लोकार्पण व शिलान्यास नहीं होगा. मतलब साफ है कि अयोध्या में पीएम मोदी 5 अगस्त को किसी योजना का लोकार्पण नहीं करेंगे, अयोध्या में पीएम मोदी 5 अगस्त को किसी योजना का शिलान्यास नहीं करेंगे. 

अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

भूमि पूजने से पहले सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैं. अयोध्या की सीमाओं को सील कर दिया गया है. 5 अगस्त तक किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी गई हैं. स्थानीय निवासियों को अपने साथ आईडी रखना अनिवार्य कर दिया गया है. प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को देखते हुए  सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

कोरोना काल में भूमि पूजन हो रहा है तो इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि संक्रमण नहीं फैलें. पूरे शहर में सैनिटाइजेशन का काम किया जा रहा है. कोरोना को देखते हुए है सीमित संख्या में अतिथियों को बुलाया गया है. साथ ही लोगों से कहा गया है कि वो घरों पर बैठकर भूमि पूजन देखें.

पहली बार हनुमान गढ़ी मंदिर में पीएम!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने से पहले हनुमानगढ़ी मंदिर को भी सैनिटाइज किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार हनुमान गढ़ी मंदिर आ रहे हैं. भूमि पूजन से पहले पीएम मोदी हनुमानगढ़ी मंदिर जाएंगे.

राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए गणेश पूजन शुरू हो गया है. गणेश पूजन कार्यक्रम में ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी जी मौजूद हैं. काशी, कांची, दिल्ली और अयोध्या के आचार्य गौरी गणेश पूजन करा रहे हैं.

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भूमि पूजन से पहले अयोध्या में CM योगी की ‘राम प्रतिज्ञा’

सीएम योगी ने रामजन्मभूमि में भूमि पूजन से पहले आज विशेष गणेश पूजा की. यानी श्रीराम के आगमन की तैयारी शुरू हो चुकी है. अलग अलग पूजा विधियों के ज्ञाता कई ब्राह्राणों ने आज गणेश पूजा में हिस्सा लिया...

भूमि पूजन से पहले अयोध्या में CM योगी की 'राम प्रतिज्ञा'

नई दिल्ली: बस दो दिन बाद अयोध्या में इतिहास बनने वाला है. राम मंदिर के निर्माण का श्रीगणेश होने वाला है. भूमिपूजन से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज अयोध्या पहुंचे. अयोध्या में योगी ने रामलला दर्शन किए. उन्होंने भूमिपूजन की तैयारियों की समीक्षा की.

योगी की 'राम प्रतिज्ञा'

  • भूमि पूजन से 46 घंटे पहले योगी का 'राम दर्शन'
  • प्रधानमंत्री के आने से पहले अयोध्या में योगी
  • मंदिर निर्माण का 'श्री गणेश', उत्साहित है देश
  • सबसे बड़े सांस्कृतिक उत्सव की तैयारी पूरी
  • आज 'जय श्री गणेश', 5 अगस्त को 'जय श्री राम'

शंखनाद के साथ भूमि पूजन का 'श्रीगणेश'

भूमि पूजन से 2 दिन पहले योगी आदित्यनाथ आज थोड़ी देर पहले अयोध्या पहुंचे. योगी आदित्यनाथ आज भूमि पूजन के लेकर चल रही तमाम तैयारियों का जायजा लिया. योगी आदित्यनाथ ने आज रामलला की पूजा की. आपको बता दें, 5 अगस्त को पीएम मोदी भूमि पूजन करेंगे.

योगी आदित्यनाथ ने किये रामलला के दर्शन

  • सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में रामलला के दर्शन किए
  • भूमिपूजन की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं सीएम योगी
  • भूमिपूजन से पहले अयोध्या में योगी ने अधिकारियों से मुलाकात की
  • प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले योगी ने तैयारियों की समीक्षा की

गणेश पूजन के साथ अयोध्या में श्रीराम मंदिर भूमिपूजन कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलला के दर्शन किये. 5 अगस्त की तैयारियों का भी वो जायजा ले रहे हैं.

  1. रामजन्मभूमि में भूमिपूजन के लिए गणेश-पूजा का शुभारंभ
  2. रामजन्मभूमि में स्थानीय पंडितों ने गणेश-पूजा की प्रक्रिया आरंभ की
  3. मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में विशेष गणेश पूजा का आरंभ

भूमि पूजन में बुलाने के लिए निमंत्रण पत्र भेजे जा चुके हैं. निमंत्रण पत्र की मूल प्रति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम है. अयोध्या मामले के पक्षकार रहे इक़बाल अंसारी को भी

भूमि पूजन के लिए आमंत्रण पत्र भेजा गया है.

इसे भी पढ़ें: जन्मभूमि अयोध्या ही नहीं, अब श्री राम का ननिहाल भी होगा जगमग

बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इक़बाल अंसारी को श्रीराम मंदिर भूमिपूजन कार्यक्रम का निमंत्रण मिला. जिसके बाद उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के आने से अयोध्या की तस्वीर बदलेगी.


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आस्था का मंदिर : कांग्रेस ने खुलवाए मंदिर के ताले, रथयात्रा.. मुकदमा.. और फिर फैसला

भगवान राम, भगवान विष्णु के सातवें अवतार.. अयोध्या के साथ उनका ताल्लुक और उनकी जन्मभूमि.. इस छोटे से अलसाये से कस्बानुमा शहर में रहने वाले लोगों के लिए ही नहीं दुनियाभर में रहने वाले हिंदुओं के लिये गहरी आस्था का मुद्दा है. राम आस्था का मुद्दा हैं जो त्रेतायुग से जुड़ी है. जो राम का युग है.. नैतिकता का युग.

कौन जानता था कि भगवान राम का जन्मस्थान नैतिकता और धर्म की जगह विवादों की जगह बन जाएगा. सन् 1528 जब देश में मुगलराज था.. तब बाबर और उसके जनरल मीर बाक़ी पर मंदिर गिराने और उसकी जगह मस्जिद बनाने का आरोप लगाया जाता है. जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता रहा है.

आस्था का मंदिर : कांग्रेस ने खुलवाए मंदिर के ताले, रथयात्रा.. मुकदमा.. और फिर फैसलाखोजें

आस्था का मंदिर : कांग्रेस ने खुलवाए मंदिर के ताले, रथयात्रा.. मुकदमा.. और फिर फैसला

भगवान राम, भगवान विष्णु के सातवें अवतार.. अयोध्या के साथ उनका ताल्लुक और उनकी जन्मभूमि.. इस छोटे से अलसाये से कस्बानुमा शहर में रहने वाले लोगों के लिए ही नहीं दुनियाभर में रहने वाले हिंदुओं के लिये गहरी आस्था का मुद्दा है.

नई दिल्ली: 

भगवान राम, भगवान विष्णु के सातवें अवतार.. अयोध्या के साथ उनका ताल्लुक और उनकी जन्मभूमि.. इस छोटे से अलसाये से कस्बानुमा शहर में रहने वाले लोगों के लिए ही नहीं दुनियाभर में रहने वाले हिंदुओं के लिये गहरी आस्था का मुद्दा है. राम आस्था का मुद्दा हैं जो त्रेतायुग से जुड़ी है. जो राम का युग है.. नैतिकता का युग.

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कौन जानता था कि भगवान राम का जन्मस्थान नैतिकता और धर्म की जगह विवादों की जगह बन जाएगा. सन् 1528 जब देश में मुगलराज था.. तब बाबर और उसके जनरल मीर बाक़ी पर मंदिर गिराने और उसकी जगह मस्जिद बनाने का आरोप लगाया जाता है. जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता रहा है.

राम मंदिर के भूमिपूजन में किसी भी गैर हिंदू को नहीं बुलाने की मांग, हिन्दू महासभा के वकील ने पत्र लिखा

अस्सी के दशक में आस्था और मंदिर के आसपास की राजनीति मुख्य केंद्र में आ गई. एक फरवरी 1986 को एक स्थानीय अदालत ने हिंदुओं को पूजा की इजाजत दी. तब की राजीव गांधी सरकार पर दोहरे तुष्टिकरण का आरोप लगा. शाह बानो के मामले में फैसले पर मुस्लिम बिरादरी को तुष्ट करने और बाबरी मामले में ताले खोलकर हिंदुओं को खुश करने का. ताले खोलने का मामला दिसंबर 1949 के बाद की दूसरी बड़ी घटना थी जब भगवान राम और लक्ष्मण की मूर्तियां मस्जिद के बीच वाले गुंबद के नीचे रखी गईं.

बीजेपी को आए तब 6 साल ही हुए थे और उसके बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर के इर्द गिर्द एक बड़ा राजनीति अभियान तैयार कर रहे थे. राजीव गांधी ने बीजेपी के राम मंदिर आंदोलन को हल्का करने की कोशिश की थी. दोनों ही ओर से अपने को हिंदुओं का रहनुमा बताने की कोशिश थी.

इसके बाद राम मंदिर को लेकर राजनीति तीखी और तीखी होती चली गई. 1989 में तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बाबरी ढांचे के पास नींव का पत्थर रखने के लिए समारोह की अनुमति दी, बीजेपी के मंदिर आंदोलन की बढ़ती लोकप्रियता को नुकसान पहुंचाने की एक कोशिश मानी गया. इसके बाद मंदिर के समर्थन के लिए बीजेपी ने और बड़े पैमाने पर अभियान शुरु कर दिया.

राम मंदिर भूमि पूजन में शामिल होंगी बीजेपी नेता उमा भारती, ट्वीट कर दी जानकारी

हिंदुओं का बड़ा मसीहा कौन है इसे लेकर एक जंग की शुरुआत हो गई. एक तरफ वो पार्टी जो एक असहज और जटिल मुद्दे पर लोगों को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही थी और दूसरी ओर एक पार्टी जिसने इसे अपना मुख्य मुद्दा बना लिया. 1984 में महज़ 2 लोकसभा सीटें जीतने के बाद सत्ता पर पूरी पकड़ की ओर भारतीय जनता पार्टी अग्रसर थी.

1989 में पालमपुर मे बीजेपी के अधिवेशन में पार्टी ने रणनीति बदली और पहली बार औपचारिक तौर पर राम जन्मभूमि की मुक्ति और विवादित जगह पर राम मंदिर के निर्माण की बात कही. यह पार्टी का अहम राजनीतिक एजेंडा बना गया. जिस पार्टी की कमान हिंदुत्व के एक उदार चेहरे के पास थी. उसका प्रमुख एक सख्त चेहरा बना गया.

इसके बाद अयोध्या के आसपास की राजनीति का चेहरा हमेशा के लिए बदल गया. 25 सितंबर 1990 को बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी रथ यात्रा की शुरुआत की. एक टोयोटा के ट्रक को रथ की शक्ल दे दी गई. गुजरात में सोमनाथ से उत्तर प्रदेश मे अयोध्या के लिये रथ चला. मंदिर के लिए देशभर में समर्थन जुटाने के लिए. धर्म और राजनीति की राजनीति का खेल उत्तर प्रदेश में चरम पर था. मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव पिछड़ा वर्ग की सोशल इंजीनियरिंग का चेहरा बनकर उभरे. मंडल आयोग को लेकर आंदोलन का नतीजा यही था. बीजेपी अपने आपको हिंदू पार्टी की तरह पेश कर रही थी कुछ भ्रमित सी कांग्रेस सभी धड़ों को साथ लेकर दौड़ने की कोशिश कर रही थी. मुलायम और उस वक्त के बिहार के मुख्यमंत्री लालू

प्रसाद यादव ने अपने आपको मुसलमानों के मसीहा की तरह पेश किया. उल्टे ध्रुवीकरण का फायदा उठाने की कोशिश की. इस बीच अपना रथ लेकर समस्तीपुर पहुंचे लालकृष्ण आडवाणी को MY फैक्टर पर काम कर रहे लालू ने गिरफ्तार करवा दिया.

1991 में श्रीपेरुम्बुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या ने दिल्ली की राजनीति पर पूरी तरह से कब्जे के बीजेपी के पहियों को थोड़ा सुस्त कर दिया. राम मंदिर को लेकर पार्टी के अभियान ने बीजेपी को 1991 के चुनावों में 123 सीटों पर जीत दिलवाई. कांग्रेस को सहानुभूति वोटों का फायदा मिला और उसने अपने सहयोगियों की मदद से सरकार बना ली.

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हनुमान सेतु मंदिर वार्षिकोत्सव : हनुमान जी की कृपा से पूरा हुआ था गोमती पुल का निर्माण

राजधानी लखनऊ के हनुमान सेतु मंदिर में 53वां वार्षिकोत्सव शुरू हो चुका है।  बड़े पुजारी भगवान सिंह बिष्ट ने बताया कि वार्षिकोत्सव 26 जनवरी को मनाया जाएगा। शुरुआत प्रातः 8: 30 बजे मन्दिर में स्थापित श्रीगणेश जी, हनुमानजी, बाबा जी के विग्रहों पर पंचामृत से अभिषेक एवं षोडशोपचार से पूजन होगा। पूजन कार्य वेद विद्यालय के आचार्यों एवं वेदपाठी बटुकों द्वारा सम्पन्न होगा। अगले क्रम में भजन, गुरुवंदना होगी। इसके अलावा संकीर्तन होगा।

मन्दिर का इतिहास
गोमती पुल बनने और हनुमान सेतु मन्दिर की स्थापना से कुछ वर्ष पूर्व गोमती का जल स्तर बढ़ने से हर साल खतरा बना रहता था। 1960 में बाढ़ के बाद बाबा की तपोस्थली व पुराने मन्दिर के पास रहने वालों से स्थान छोड़ने को कहा गया। खतरे को देखते हुए सभी ने जमीन खाली कर दी। लेकिन बाबा नीब करौरी नहीं गए। कुछ समय बाद सरकार ने पुल का निर्माण शुरू कर दिया। यह कार्य कोलकाता के एक बिल्डर को मिला था।
भक्त बताते हैं कि बाबा की बगैर अनुमति के पुल बन रहा था इसलिए पुल बनने में बाधाएं आने लगी। बिल्डर काफी परेशान होने लगे। बाद में लोगों की राय पर बिल्डर ने बाबा के चरणों में गिर पड़ा और उपाय पूछा तो बाबा ने कहा कि पहले वहां हनुमान जी का मन्दिर बनाओ। फिर क्या था हनुमान जी की कृपा से एक तरफ मन्दिर निर्माण तो दूसरी तरफ पुल का निर्माण बिना किसी बाधा के तैयार होने लगा। 26 जनवरी 1967 को मन्दिर का शुभारम्भ हुआ।

बाबा नीब करौरी जी का परिचय
आगरा कुण्डला के अकबरपुर गांव के निवासी बाबा नीब करौरी जी महाराज फरुखाबाद में नीब करौरी गांव हैं जहां एक संत से भेंट हुई और उन्हीं के संरक्षण में तपस्या प्रारम्भ की। तप से उन्हें प्रसिद्धि मिलती गई। तभी से उन्हें बाबा नीबकरौरी जी महाराज के नाम से लोग जानने लगे। बाबा नीब करौरी ने नैनीताल, अल्मोड़ा, वृन्दावन, कानपुर और लखनऊ में हनुमान जी के मन्दिर बनवाए। करीब 1940 में लखनऊ आ गए। 11 दिसम्बर 1973 में बाबा ने शरीर त्याग दिया। महाराज जी की स्मृति में मन्दिर परिसर में वर्ष 1993 में बाबा की प्रतिमा स्थापित की गई।

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