हनुमान सेतु मंदिर वार्षिकोत्सव : हनुमान जी की कृपा से पूरा हुआ था गोमती पुल का निर्माण

राजधानी लखनऊ के हनुमान सेतु मंदिर में 53वां वार्षिकोत्सव शुरू हो चुका है।  बड़े पुजारी भगवान सिंह बिष्ट ने बताया कि वार्षिकोत्सव 26 जनवरी को मनाया जाएगा। शुरुआत प्रातः 8: 30 बजे मन्दिर में स्थापित श्रीगणेश जी, हनुमानजी, बाबा जी के विग्रहों पर पंचामृत से अभिषेक एवं षोडशोपचार से पूजन होगा। पूजन कार्य वेद विद्यालय के आचार्यों एवं वेदपाठी बटुकों द्वारा सम्पन्न होगा। अगले क्रम में भजन, गुरुवंदना होगी। इसके अलावा संकीर्तन होगा।

मन्दिर का इतिहास
गोमती पुल बनने और हनुमान सेतु मन्दिर की स्थापना से कुछ वर्ष पूर्व गोमती का जल स्तर बढ़ने से हर साल खतरा बना रहता था। 1960 में बाढ़ के बाद बाबा की तपोस्थली व पुराने मन्दिर के पास रहने वालों से स्थान छोड़ने को कहा गया। खतरे को देखते हुए सभी ने जमीन खाली कर दी। लेकिन बाबा नीब करौरी नहीं गए। कुछ समय बाद सरकार ने पुल का निर्माण शुरू कर दिया। यह कार्य कोलकाता के एक बिल्डर को मिला था।
भक्त बताते हैं कि बाबा की बगैर अनुमति के पुल बन रहा था इसलिए पुल बनने में बाधाएं आने लगी। बिल्डर काफी परेशान होने लगे। बाद में लोगों की राय पर बिल्डर ने बाबा के चरणों में गिर पड़ा और उपाय पूछा तो बाबा ने कहा कि पहले वहां हनुमान जी का मन्दिर बनाओ। फिर क्या था हनुमान जी की कृपा से एक तरफ मन्दिर निर्माण तो दूसरी तरफ पुल का निर्माण बिना किसी बाधा के तैयार होने लगा। 26 जनवरी 1967 को मन्दिर का शुभारम्भ हुआ।

बाबा नीब करौरी जी का परिचय
आगरा कुण्डला के अकबरपुर गांव के निवासी बाबा नीब करौरी जी महाराज फरुखाबाद में नीब करौरी गांव हैं जहां एक संत से भेंट हुई और उन्हीं के संरक्षण में तपस्या प्रारम्भ की। तप से उन्हें प्रसिद्धि मिलती गई। तभी से उन्हें बाबा नीबकरौरी जी महाराज के नाम से लोग जानने लगे। बाबा नीब करौरी ने नैनीताल, अल्मोड़ा, वृन्दावन, कानपुर और लखनऊ में हनुमान जी के मन्दिर बनवाए। करीब 1940 में लखनऊ आ गए। 11 दिसम्बर 1973 में बाबा ने शरीर त्याग दिया। महाराज जी की स्मृति में मन्दिर परिसर में वर्ष 1993 में बाबा की प्रतिमा स्थापित की गई।

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